विजय पर्व

आजादी का विजय पर्व , हम मिलकर आज मनायें |
आज की मधुरिम बेला पर ,हम गीत खुशी के गायें |
एक झोपडी भी भारत में , कहीं सूनी न रह जाये |
एक भी बन्दा भारत का , कहीं भूखा न सो जाये |
रोटी ,कपडा और मकान , सबको अब मिल जाये |
बुलेट- ट्रेन दौड़ा कर के , हम भारत को चमकाये |
रक्षा कर जंगल की अपने , हम पर्यावरण बचायें |
गंगा माँ को साफ़ रखेगें , आज कसम यह खायें |
भारत को जो आँख दिखाये, उससे हम लड़ जायें |
शांति दूत बनकर के हम , जगद गुरु कहलायें |
लाल किले यह प्राचीर , हमको आज बुलाये |
देश के खातिर हर बच्चा , सैनिक अब बन जाये |
भारत का यह भव्य तिरंगा , झुकने कभी न पाये |
पंकज जान चली जाये , पर इसकी लाज बचायें |
आदेश कुमार पंकज

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