उड़ान भरने दो::आनंद सागर

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****उड़ान भरने दो****

अपनी आगोश में ये आसमान भरने दो,
ये नये परिन्दे हैं,इन्हें उड़ान भरने दो l

ये जिन्दगी जीने का हुनर सीख जायेंगे,
ज़रा सब्र रखो,इन्हें ख्वाबों में जान भरने दो l

इनका हर हर्फ क़यामत तलक आबाद रहेगा,
शर्त है कि इनके मुंह में इनकी ज़ुबान भरने दो l

अभी तो चंद गज़ का फासला ही तय हुआ है,
अपने कदमों में इन्हें सारा जहान भरने दो l

मैं थक गया तो तेरे ही पहलू में गिरूंगा,
अभी पुरजोश हूं थोड़ी थकान भरने दो l

मैं छोड़ दूंगा शायरी,गज़लों से जूझना,
बस जो चोट है उसका निशान भरने दो ll

जुबान=भाषा/आवाज

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-Er Anand Sagar Pandey

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