देशभक्ति का भाषण तब तक देशभक्ति को गाली है
एक शहीद सैनिक दिल्ली से क्या कहना चाहता होगा इसी विषय पर मेरी एक कल्पना देखें- सुलग उठी है फ़िर से झेलम हर कतरा अंगारा है, हिमगिरी के दामन में फ़िर से मेरे खून की धारा है, चीख रही है फ़िर से घाटी गोद में मेरा सिर रखकर, पूछ रही है सबसे आखिर कौन मेरा हत्यारा है, मेरे घर में कैसे दुश्मन सीमा लांघ के आया था, छोटी सी झोली में बाईस मौतें टांग के लाया था, क्या मेरा सीना उसके दुस्साहस का आभूषण था, या मेरे ही... »