Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
जागो जनता जनार्दन
http://pravaaah.blogspot.in/2016/11/blog-post_75.htmlसमाज आज एक छल तंत्र की ओर बढ़ रहा है प्रजातंत्र खत्म हुआ। अराजकता बढ़ रही, बुद्धिजीवी मौन है या चर्चारत हे कृष्ण फिर से…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
Hope
I don’t wanna open my eyes tonight, The stars, are lovelier than ever but Enough of it, it’s just way too bright I am just…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वाह
कमाल
सुन्दर रचना