Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मित्रता का महकता रहे चंदन
*फागुनी सवेरे का अभिनन्दन “* ^^^^^^^^^^^^^^^^-^^^^-^ मित्रता का महकता रहे चंदन , मित्रता का मन करे वंदन. । अमर रहें मित्रता कोष मे , जग…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
इन्द्र धनुषी-अभिवादन
“**इन्द्र धनुषी-अभिवादन”** *************** मित्रता का महकता रहे चंदन , मित्रता का मन करे हर पल वंदन. । अमर रहें मित्रता के अक्षय कोष मे ,…
मित्रता के तख्त पर
**मित्रता के तख्त पर”** मधुर प्रातः स्मरण ” नित शाखें प्यार की हैं झूमती , हर जिंदगी के. दरख्त पर । हर सुवह शाम की…
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