जिंदगी का खेल

जिंदगी का खेल अब तक समझ न आया
वो दाव खेलते रहे, मैं हारता रहा

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

देश दर्शन

शब्दों की सीमा लांघते शिशुपालो को, कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं,                                  मैं देश दिखाने आया हूं।। नारी को अबला समझने वालों को, मां…

Responses

+

New Report

Close