Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
गज़ल – प्यार की महक |
गज़ल – प्यार की महक | तुम्हारे प्यार की महक अभी बाकी है | दूरिया ही सही तेरी याद अभी बाकी है | रहे जहा…
करने को कुछ और “करम” अभी बाकी हैं
टूट चूका हूँ , चाह जीने की छोड़ चूका हूँ ! फिर भी ज़िंदा हूँ क्यूँकि साँसे कुछ “नम” अभी बाकी हैं …! ना जाने…
वाह
Thank u
वाह बहुत बढ़िया