Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Manish Upadhyay
amature writer,thinker,listener,speaker.
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मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही डाले मुस्किल से बीतते है, ये इंतजार के पल। बेचैन कर के ही माने, इंतजार के पल सुकून को दूर भगाए ,इंतजार के पल पहेली सा मन में जगह बनाए उलझन में डाल देते , ये इंतजार के पल। विश्वास से रिश्ता बनाते,इंतजार के पल हर वक्त बस है आजमाते ,इंतजार के पल एक उम्र संग बहा ले जाए ख्वाबों का जहां बसाए ,ये इंतजार के पल।
इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ । एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे…
Waah
वाह