आज का गीत : दो पहलू

[01] आज का गीत
आज का गीत, कुछ इस तरह बना !
मानो किसी बदन पर
बेशुमार हुस्न संवरा
शब्द : लुभावने तिल की तरह
बिखर गए कागज के गुदाज़ बदन पर
सौन्दर्य प्रतिमान बन कर
भाव —————-
आंखों का मूक आमंत्रण बने
हुआ सपनों का इन्द्रधनुषी संसार घना
आज का गीत, कुछ इस तरह बना………..
………………….000……………….
[02] आज का गीत कुछ इस तरह बना !
किसी अकुलाए मन का चेहरा
………………….आंसूओं से सना

शब्द: थरथराते लबों पर ठहरे
मौन–व्यथा की तरह ठिठके
और, मन–वीणा पर
दर्द की लकीर बनकर
बहने लगे भाव
जीवन का नाम ही, शायद है : अभाव
मन; अश्रुधार से हलका हो भी न सका
कि; धड़कनों का सैलाब लिए, टीस का समन्दर जमा
आज का गीत, कुछ इस तरह बना…………………..
……000……#anupamtripathiG ……000……

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close