Ati hai yad bachpan ki
आती है याद बचपन की…..
वो झूलों पर मस्त होकर झूलना,
पेडो की छांव में बेफिक्र होकर खेलना ,
आती है याद बचपन की…..
वो बारिश में मस्त होकर भीगना,
नदी पोखर में छपा छप करना,
आती है याद बचपन की…..
वो बालू मिट्टी से मस्त होकर खेलना,
फिर दोस्तों संग लुकाछिपी खेलना,
आती है याद बचपन की…..
वो मां की गोद में छुप जाना,
कंधों पर पिताजी के झुलना,
आती है याद बचपन की…..
वो दादी अम्मा से रोज कहानियां सुनना,
खुद रूठना और खुद मान जाना,
आती है याद बचपन कीा…..
वो स्कूल रोज ही दोस्तो संग जाना,
मास्टर जी से स्कूल में रोज ही पढ़ना|
Wowwww
O kagaj ki kasti o barish ka pani😊
Thanks sis
बहुत सुन्दर
Thanks Dev ji
बहुत प्यारी कविता
Thanks sis
Wah
Thanks