आंखें आईना

बैठे-बैठे मुस्कुरा रहे हो
हमसे तुम कुछ छुपा रहे हैं
आंखें हैं आईना धड़कनों का
उनमें हाल-ए-दिल पढ़ा रहे हो।
निमिषा सिंघल

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