करवा-चौथ विषेश

ऐ चाँद तू आज भाव खाना नहीं।
मेरे चाँद को तू आज सताना नहीं।

बैठी पलकें बिछाए,
तेरा दीदार हो जाए,
तेरे इंतज़ार की घड़ी बढ़ाना नहीं।
ऐ चाँद तू आज भाव खाना नहीं।
मेरे चाँद को तू आज सताना नहीं।

बगैर आबो-दाना,
मुश्किल दिन बिताना,
मकसद मेरा, तुझे बताना नहीं।
ऐ चाँद तू आज भाव खाना नहीं।
मेरे चाँद को तू आज सताना नहीं।

मेरी लंबी उम्र का जिक्र है,
मुझे मेरे चाँद की फिक्र है,
मंज़ूर मुझे बादलों का बहाना नहीं।
ऐ चाँद तू आज भाव खाना नहीं।
मेरे चाँद को तू आज सताना नहीं।

देवेश साखरे ‘देव’

आबो-दाना – अन्न और जल

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