दंगाई
दंगाई
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आजाद देश में रहकर तुम,
आजादी पाना चाहते हो!
सही बात समझ में आती नहीं,
और द्रोह यहां फैलाते हो!!
अनपढ़ लोगों को फुसलाकर,
भ्रामक बातें फैलाते हो।
जिस देश में रहते खाते हो,
उसकी संपत्ति जलाते हो!!!!
है शर्म जरा तो डूब मरो!!
इस्लामिक देशों में बस जाओ।
भेड़िए बने जो फिरते हो,
जाओ. ….
कुछ पल वहां भी गुज़ार आओ।
यहां मनमानी तुम करते हो!
पत्थरबाजी भी करते हो।
कागज की तरह जलाते हो,
राष्ट्रीय संपत्तियों को झुलसाते हो।
राष्ट्र सेवकों को गाली देते हो
कितनी आजादी तो पाई है!!!!
विद्रोहियों से हाथ मिलाते हो,
लोगों पर अत्याचार करवाते हो।
तानाशाह बनना चाहते हो,
हर सही बात दबाते हो।
शांति से रहना आता नहीं,
तोड़फोड़ यहां मचाते हो।
तुम भूल गए शायद यह सब,
अब याद दिलाना जरूरी है।
लौह पुरुष यहां सब परम सेवक है
भारत मां पे जान लुटाते हैं।
तुम याद रखना यह बात सदा..
शेरो,चीतों की धरती है,
गीदड़ भभकी नहीं जमती है।
पानी सर से ऊपर जब जाता है,
पल में सब नशा उतारते हैं।
यदि प्रेम से रहना आता नहीं,
चलो आजादी तुम्हे दिलवाते है।
निमिषा सिंघल
Nice
Thank you
Sunder
🙏🙏🙏🙏
Nice 👏👏👏👏
❤️❤️❤️❤️❤️
Good
Nice
सही कहा