कुछ दिनों से

कुछ दिनों से बदल सी गई हूँ
पहले जीवन में कविता ढूंढ़ती थी
अब कविता में जीवन ढूंढ़ती हूँ।

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बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…

#‎_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है‬

‪#‎_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है‬ _______**********************__________ कुछ अजीब सा माहौल हो चला है, मेरा “वाड्रफनगर” अब बदल चला है…. ढूंढता हूँ उन परिंदों को,जो बैठते थे कभी घरों के…

चिट्ठी

प्यारी गौरैया! आज तुम्हें इतने दिनों बाद अपनी छत पर देख अपने बचपन के दिन याद आ गए ,तब तुम संख्या में हमसे बहुत ज्यादा…

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