आस्था के कमल

आस्था के कमल
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प्रेम और विश्वास के दरिया में ही खिलते हैं आस्था के कमल।

तुम खरे उतरना इस विश्वास पर
ना मुरझा पाए यह कमल स्मरण रहे।

जीवन, यौवन सौंप दिया है तुम्हे
तुम्हारी संगिनी ने,
तुम भवरे ना बन जाना,
ना मंडराना फूल फूल पर
सहेज रखना खुद को।

जीवन में राह नई मिलेंगी तुम्हें,
उन गुमशुदा राहों पर कहीं गुम ना हो जाना!

यौवन की उमंग में तितलियां भटकाएंगी तुम्हे,
तुम भटकना नहीं।

हर पल स्मरण रखना
किसी को तुम्हारा हर पल इंतजार है
और जब पार कर लोगे उम्र का यह पड़ाव
तब सिर्फ संगिनी की संग होगी तुम्हारे।

दिल ना दुखाना उसका,
वही है मानसिक संबल तुम्हारा।
जब सभी सहारे छूट जाएंगे,
तब हाथों में हाथ दिए
वही होगी संग तुम्हारे।

कठिन से कठिन समय में भी जो संबल बन जाएगी।
ढाल है जीवनसंगिनी
तलवार ना दिखाना

तुम पर आए हर एक वार को
खुद ही झेल जाएगी।

बस तुम बने रहना …..
उसके आस्था के कमल।

निमिषा सिंघल

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