Categories: शेर-ओ-शायरी
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करार
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यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
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अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
वाह, क्या बात है
धन्यवाद
बहुत ही अच्छी
धन्यवाद
,,vasundra जी कृपया भाव के बारे में थोड़ा सा हिंट्स दे।
आप विनय जी का अर्थ स्पष्टीकरण देख लें
बहुत ही बेहतरीन 🙏
Nice
धन्यवाद
🙏🙏✍👌
धन्यवाद
परमात्मा ने हमें दो सिक्के पूँजी के रूप में दी है। पहला यौ़वन और दूसरा आत्मज्ञान। एक को तो प्रदर्शन करते हुए गवा देते हैं और दूसरे को भुलाए हुए हीं जीवन बिता देते हैं।।
क्या मैं ठीक हूँ ,वसुंधरा जी?
बहुत खूब। जीवन दर्शन।।
🙏🙏🙏👌
बहुत सटीक अर्थ स्पष्ट किया है आपनेl धन्यवाद
बहुत सही, शास्त्री जी
बेहतरीन