अन्नदाता
मैं किसान हूं समझता हूं मैं अन्न की कीमत क्योंकि वो मैं ही हूं जो सींचता हूं फसल को अपने खून और पसीने से मरता…
मैं किसान हूं समझता हूं मैं अन्न की कीमत क्योंकि वो मैं ही हूं जो सींचता हूं फसल को अपने खून और पसीने से मरता…
जिंदगी थी बस चंद लम्हों की दास्ता रह गयी अधूरी फिर भी अनकही, अनसुनी
अधूरे अरमानों की झांकी आज गुजरी मेरे दरम्यां से इक जिंदगी जो जी नहीं, वो देखी आज मैनें
ले देकर कुछ यादें हैं मेरे पास जो दिल की तिजोरी में संभाल के रखीं हैं गरीबी जब आयी करीब मेरे तो लोगों ने हिदायत…
आजकल हर्फ़ ब हर्फ तोल परख कर लिखतीं हूं न जाने कौन सा मायना निकाल ले दुनिया!!
वो आये दबे पांव से यूं कानों ने तो कुछ सुना नहीं मगर दिल ने सब सुन लिया
नन्हे से बच्चे को जब सड़क पर चाय बेचते देखती हूं इक बहन सिसकती है मां रोती है मेरे अंदर
तेरे दिल में अगर जगह मिल पाती हम बेघर न समझती ये दुनिया
आजादी के जश्न में तो मनाता हर कोई है आजादी का मायना समझ सके तो कोई बात बने समाज जब संवेदनहीन हो जाये तब कोई…
लफ़्ज अक्सर लवों पर ही ठहर जाते है जमाने के खौफ़ है कि क्या कहेगा सुनकर
इस मायूस दिल को कौन समझाये मोहब्बत में बस तन्हाई ही मयस्सर है
कोई तरकीब हो अगर तो जरूर बतायें तक़रीब ए इश्क कैसे हो हम
पतंग को देख कर आज उड़ने को मन हुआ फिर पैरों में पड़ी जंजीर देखकर मन थम गया
ले दे के दो सिक्के ले कर चली थी बाजार में इक उछालने में खो गया, एक को रख भूली कहीं पर
दिमाग बढाने की दवा तो हर जगह मिलती है दिल को बढा करने का हुनर बस हमें आता है दिमाग है इसलिये सोचते हो बस…
न बंदिशें रोक पायी तुझे न मिन्नतों का असर हुआ तुझ पर ए दिल बता आखिर जहां ए इश्क में ऐसा किया दिखा
कहानी लापता है, किरदार की खबर नहीं फिर भी वहम है कि मेरा जाता ही नहीं
चंद सिक्के क्या खत्म हुये रुखसत हो गये जो मेरे करीब थे तनहाई है जो साथ रहती है अब बस खामोशी है जो अजीज है
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