आनन्द

दिल्ली के आनन्द नगर में,
अब आनन्द कहां
सन्नाटा पसरा रहता है,
बाल – क्रीड़ाएं होती थी जहां
कोविड़ ने आतंक मचाया,
विद्यालय भी बंद कराया
खेल – खिलौने गम-सुम पड़े हैं,
बच्चे मोबाइल पर ही लगे पड़े हैं
आनन्द आएगा अब कब आनन्द नगर में,
कब होगी चहल -पहल इस डगर में..।

*****✍️गीता*****

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Responses

  1. आनन्द आएगा अब कब आनन्द नगर में,
    कब होगी चहल -पहल इस डगर में..।
    बहुत खूब, अतिसुन्दर। समसामयिक रचना। अद्भुत लेखन प्रतिभा को सैल्यूट

    1. आपकी सुंदर समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी🙏
      कोविड 19 के आतंक से सभी परेशान हैं । तो बस ये कविता ही बन गई ।

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