अधूरापन

पूर्ण समृद्ध न तो मैं हूं और न ही कोई अन्य,

सर्वज्ञ तो इस जहाँ में कोई भी नहीं,
हर किसी में कुछ न कुछ रिक्तता है जैसे,
किसी भी ह्रदय का ज्ञान सम्पूर्ण नहीं,
और वही खालीपन उसे प्रेम करना सिखाता है;
उस रिक्तता की पूर्ति को वो दिन रात भटकता है,
जो उस खालीपन को दूर करता सा लगता है,
हृदय उस साधन में तल्लीन सा हो जाता है,
और उसे अपना अभिन्न हिस्सा मान लेता है;
इस दीवानगी में कई बार ऐसा भी होता है,
मरीचिका के पीछे ह्रदय स्वयं स्वत्व को भूल जाता है,
आजीवन उससे जुड़ने की आस में भटकता रहता है,
और अधूरे प्रेम के प्यास से दम तोड़ देता है,
जो ह्रदय की गति को बाधित करे वो प्रेम कैसा!

यदि यही सत्य है कि पूर्ण इस जहां में कोई नहीं
फिर अपने अधूरेपन को क्यों बोझ मान जीए,
खेतों में पलने वालों को पेट की भूख है,
भरे हुए पेटों को स्वर्ण महलों की भूख है,
महलों में रहने वालों को शांति की भूख है,
और शांति बेचारी हर जगह होकर भी
हर किसी से अजनबी बन कर बैठी है,
जिस दिन अपने अधूरेपन को स्वीकार लिया,
उसी दिन सुख शांति से परिचय तय है,
तो क्यूं न इस अपूर्णता को संजोए हम कहीं,
और एक दूजे को पूर्ण करे हम बस यूं ही,
चाहत होती है बस सबसे वह वही सुनने की,
पर असल में आगे बढ़ाता है हमे वही,
जो अधूरेपन से परिचय कराये कभी।
©अनुपम मिश्र

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close