सुबह कितनी मनोरम है

सुबह कितनी मनोरम है
उग चुकी सूर्य की
प्यारी किरण है।
उस पर तुम्हारी
मुस्कुराहट का चमन है।
तभी तो
आज कुछ ज्यादा चमक है,
क्योंकि पायल की सुनाई दे रही
मधुरिम खनक है।
सूरज उजाला दे रहा है
पर चमक तुम से ही है,
कुछ भी कहो आंगन की रौनक
तुमसे है तुमसे ही है।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. बहुत ही सुंदर काव्य रचना है सतीश जी ।कवि सतीश जी ने उगते सूर्य की सुंदर आभा का बहुत ही खूबसूरती से चित्रण किया है ।जीवन साथी के पैरों की पायल की गूंज से घर गुंजायमान है और घर के आंगन में रौनक ही रौनक है ।अद्भुत रचना कर गई लेखनी वाह सर अति सुन्दर प्रस्तुति ।

    1. आपकी प्रखर लेखनी से समीक्षा के रूप में इतनी सुंदर टिप्पणी सामने आई है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी। आपकी लेखनी सदैव ही पथ रोशन करने वाली है। जय हो

+

New Report

Close