झूठ में सच मत छिपाने दो
भ्रष्टाचार खत्म करो
ऊपर की कमाई पर रोक लगाओ
सत्यता के भाव जगाओ
रातों-रात करोड़पति बनने की
प्रवृत्ति पर विराम लगाओ
नियम कानून जो बने हैं
उन्हें काम पर लगाओ,
गरीबों की योजनाओं को
उन तक पहुंचने दो
बिना लिए-दिये काम होने दो
हकदार तक हक पहुंचने दो।
राशनकार्ड में जितना मिलता है
मिल जाने दो,
मत बचाकर रखो
गरीबों में राशन बंट जाने दो।
अब कुहरा छंट जाने दो।
गांव के रास्ते में खड़ंजे
बिछ जाने दो,
उस पर कंकरीट पड़ जाने दो,
लेकिन कंकरीट में माप का
सीमेंट भी पड़ जाने दो,
खाली रेत मत बिछाने दो।
भ्रष्टाचार में किसी को भी
मत नहाने दो,
झूठ में सच मत छिपाने दो।
बहुत बढ़िया रचना
बहुत सुंदर 👌👌
सरकारी कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए और एक ज़िम्मेदार नागरिक की तरह उन पर रोक लगाने की गुहार करती हुई कवि सतीश जी की बहुत श्रेष्ठ रचना ।कवि का कार्य कविता के माध्यम से समाज को चेताना भी होता है ,जो कवि ने बख़ूबी निभाया है। बहुत सुंदर रचना
अतिसुंदर भाव