थक चुका हू मा
थक चुका हू माँ
मुझे सोने दे
इस झूठे दुनिया से
पक चुका हू
मुझे अपने साथ ले ले
स्वार्थ से चलते लोग
मुखौटे पहने लोग
सरल पेड़ कटते जाते है
सरलता और मूर्खता मे कोई भेद नहीं है
दुनिया मे सबसे पाक तेरा प्यार है
सबसे कीमती तेरा साथ है
जो किस्मत वालों को नसीब होता है
मै आ रहा हू माँ
मेरे लिए डाल भात बनाना
मेरे लिए इंतज़ार करना घर मे
इस दुनिया मे कितने पैसे बनाते हो
यह मतलब नहीं रखता
मतलब रखता है
कितने पक्के रिश्ते तुमने कमाए
कितने रोते चेहरे तुम्हारे जनाज़े मे है
अतिसुंदर रचना
धन्यवाद
उम्दा रचना
धन्यवाद
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है।
“कितने पक्के रिश्ते तुमने कमाए
कितने रोते चेहरे तुम्हारे जनाज़े मे ”
— अत्यंत उम्दा पंक्तियाँ
धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
ध्न्यावाद