पैदा कर लो आग
अपनी आदत बदल कर,
पाओ खूब सुकून।
रोज सीखना है नया,
ऐसा रखो जुनून।
सोते समय नहीं कभी,
हो उलझन में ध्यान,
कभी कभी तलवार को
दे दो उसकी म्यान।
गुस्सा छोड़ो आप भी
नींद निकालो खूब
कभी कभी आनन्द लो
तुम सपनों में डूब।
छोड़ो सारी झंझटें
रातों को लो नींद,
वरना उलझन में समय
जायेगा फिर बीत।
कोशिश कर उम्मीद रख
बदलो खुद का भाग,
ठंडे-ठंडे मत रहो
पैदा कर लो आग।
वाह बहुत खूब
Very nice poem
मनुष्य को प्रतिदिन कुछ सीखते ही रहना चाहिए ऐसा संदेश देती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही सुंदर रचना। सुन्दर शिल्प और सुंदर कथ्य सहित उम्दा प्रस्तुति
उम्दा रचना
अतिसुंदर रचना