लेकिन जो हुआ गलत ही था

गणतंत्र पर ऐसा होना
हम सबकी ही नाकामी है
सबका पत्थर हो जाना
हम सबकी ही नादानी है।
न इधर झुके न उधर झुके
सूखी लकड़ी से अड़े रहे,
अलग रंग के झण्डे क्यों
ऐसे राहों पर खड़े रहे।
दुनिया हँसती है इन सब से
ऐसी बातें तो उचित नहीं
ऐसे उलझन को देख देश की
जनता सारी व्यथित रही।
चाहे कमियां जिसकी भी हों
लेकिन जो हुआ गलत ही था
कहना क्या है सुनना क्या है,
यह राष्ट्र पर्व पर गलत ही था।
नाम देश का ऐसे कैसे
ऊँचा होगा मनन करो,
कुछ भी हो मिलजुल कर सारे
भारत माँ को नमन करो।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

Responses

  1. चाहे कमियां जिसकी भी हों
    लेकिन जो हुआ गलत ही था
    कहना क्या है सुनना क्या है,
    यह राष्ट्र पर्व पर गलत ही था।
    *********राष्ट्र पर्व पर आंदोलन के नाम पर जो हुआ वह सचमुच गलत ही था। राष्ट्रीय पर्व पर जो ग़लत हुआ उस पर कवि की कलम से निकले उद्गार , राष्ट्र को संदेश देती हुई कवि सतीश जी की देश प्रेम से ओत प्रोत बेहतरीन रचना। बेहतर शिल्प और उत्कृष्ट कथ्य सहित उम्दा प्रस्तुति

+

New Report

Close