*ऐसा आशीष मुझको देना प्रभु*
निष्ठा ना कमजोर कभी करना प्रभु,
नेक रस्ते पर ही हो चलना प्रभु।
भूलकर भी किसी का दिल ना दुखाऊॅं,
ऐसा आशीष मुझको देना प्रभु।
दिल दुखाना चाहे यदि कोई और मेरा,
उस राह पर ही ना जाऊॅं कभी
सबसे प्रेम से ही बोलूॅं सदा,
मीठी वाणी मेरी रखना प्रभु।
सत्कर्म हों हमेशा हाथों से मेरे,
हाथों में इतनी बरकत करना प्रभु।
_________✍गीता
बड़ी सुंदर प्रार्थना है बहना तेरी
कविता की सराहना और समीक्षा हेतु आपका सादर धन्यवाद भाई जी🙏
निष्ठा ना कमजोर कभी करना प्रभु,
नेक रस्ते पर ही हो चलना प्रभु।
—— ईश्वर से बहुत सुंदर प्रार्थना करती कवि गीता जी की सुन्दर कविता।
कविता की सुंदर सराहना और समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी