काम आते रहो दूसरों के
काम आते रहो दूसरों के
आपकी राह खुलती रहेगी,
तुम भलाई करोगे, भलाई,
आपके पास आती रहेगी।
नीर बहता रहा है नदी में
सैकड़ों जीव पीते रहे हैं,
आदि युग से अभी तक निरन्तर
स्रोत जल के उपजते रहे हैं।
तप्त धरती में बारिश हुई,
पेड़-पौधे उगे खिल गए सब
भाप उड़ कर गई आसमां में
मेघ फिर-फिर बरसते रहे हैं।
जो करेगा मिलेगा उसी को
जिस तरह का करेगा मिलेगा,
खूब तपती हुई आग में,
स्वर्ण जेवर निखरते रहे हैं।
बहुय खूब।
Wow, great lines
अति सुन्दर कविता, लाजवाब लेखन👌👌