Categories: शेर-ओ-शायरी
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हवा के नर्म परों पर सलाम लिखती हूँ
हवा के नर्म परों पर सलाम लिखती हूँ गुलों की स्याही से जब जब पयाम लिखती हूँ बड़ा सहेज के रखती हूँ तेरे खत सारे…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
मैं छत्तीसगढ़ बोल रहा हूँ
मै चंदुलाल का तन हूँ। मैं खुब चंद का मन हूँ। मैं गुरु घांसी का धर्मक्षेत्र हूँ। मैं मिनी माता का कर्म क्षेत्र हूँ।। मैं…
वाह क्या बात है। दो पंक्तियों की इतनी जीवंत कविता बहुत कम देखने को मिलती हैं। आपकी लेखनी बेहतरीन हैं।हर्फ़ ब हर्फ में भाषागत सौंदर्य निखर रहा है।
Shukriya
बहुत ख़ूब, क्या बात है
Shukriya
लाजवाब लेखनी
Shukriya
बेहतरीन
Shukriya
बहुत बढ़िया
Shukriya
लाजवाब