हर्फ़ ब हर्फ

आजकल हर्फ़ ब हर्फ तोल परख कर लिखतीं हूं
न जाने कौन सा मायना निकाल ले दुनिया!!

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. वाह क्या बात है। दो पंक्तियों की इतनी जीवंत कविता बहुत कम देखने को मिलती हैं। आपकी लेखनी बेहतरीन हैं।हर्फ़ ब हर्फ में भाषागत सौंदर्य निखर रहा है।

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