
Barbarta
Note: एक छोटी सी कविता यह दर्शाते हुए की किस तरह एक भीड़ दंगो का रूप ले लेती है और कौन उसे इतना भड़काता है
बर्बरता
वोह बोले हमसे वार करो,
न चुप बैठो प्रहार करो,
जो औरत, बूड़े, बच्चे आये,
टूकड़े तुम हज़ार करो ।
आतंकी रथ सवार करो,
और मृत्यु का प्रचार करो,
यमलोक भी थर-थर कांप उठे,
ऐसा भीषण नरसंहार करो ।
असुरो को त्यार करो,
और मानवता की हार करो,
धरती का धड़ चीर-फाड़ के,
नर्क का तुम आविष्कार करो ।
विवेक का भहिष्कार करो
बर्बरता का विस्तार करो
सत्ता पर हम जड़े जमा लें,
सपना तुम साकार करो ।
-पियूष निर्वाण
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Raj Kumar - June 7, 2016, 3:46 pm
Bahut khoob piyush ji 🙂
Piyush - June 7, 2016, 7:24 pm
Dhanyawad..
Pritam Chaturvedi - June 7, 2016, 8:50 pm
nice one …
Piyush - June 7, 2016, 9:52 pm
Thank you..
Alok Kumar - June 7, 2016, 8:59 pm
behtareen piyush ji
Piyush - June 7, 2016, 9:49 pm
Dhanyawad alok ji
Megha Trivedi - June 7, 2016, 9:53 pm
Awesome 🙂
Piyush - June 7, 2016, 10:08 pm
Thank you..
Everyone plz share if you like.
महेश गुप्ता जौनपुरी - September 11, 2019, 10:52 pm
वाह