Kya Kare Koi

…..………………….Just A Few Lines……………….. उसकी खुशबू से महकी हैं सारी फ़िज़ाये गुलों के रंग भी यूँ फीके पड़ जाए न मय न मय-खाना ये जादू…

Zindagi

बेशक़ सहमा ज़रूर, पर कभी टूटा नही, तेरे लाख डराने पे, कभी रूठा नही,   तेरा इतरांना भी अंदाज़-ए-हसीन ज़िंदगी, पर मेरे हौंसलो का साथ अभी छूटा नही। – पीयूष निर्वाण

हरिरूपम

हरिरूपम     उठ जाग अलौकिक ये प्रभात, अम्बर में किरणों का प्रकाश, जो भेद सके कोई इनकी जात, तोह करे समुच्चय मानव की बात…

बदरंगा इश्क़

Note : इक प्रेमिका इश्क़ मैं धोका खाये जज़्बातों को व्यक्त करती हुई । बदरंगा इश्क़ रंगना था तेरे रंग में, बदरंगा करके छोड़ गए, सदियो के उस वादे को, पल भर में खट्ट से तोड़ गए , जब आये थे अपना बनाने, तब लफ़्ज़ों का पिटारा रहा, उन चिकनी-चुपड़ी बातों ने, मुझको अपना सितारा कहा , वोह डेढ़ चाल शतरंज की थी, इतना तोह मैंने समझ लिया, पर न जाने कब इस रानी को, इक प्यादे ने यूं झपट लिया , वो कहती मेरी सखी-सहेली, न पड फुसलाती चालों में, वो…

Kahani

कहानी   जो रक्त न दे सको, तो यह जवानी दे दो… और वह भी तुमको प्यारी हो, तो ज़ुबान ही दे दो… दलदल मैं फसा यह देश, है सहारे की ज़रुरत, ज़रा हाथ लगा कर नवयुग को, प्रेरित करती कहानी दे दो…।   – पीयूष निर्वाण

Barbarta

Note: एक छोटी सी कविता यह दर्शाते हुए की किस तरह एक भीड़ दंगो का रूप ले लेती है और कौन उसे इतना भड़काता है बर्बरता वोह बोले हमसे वार करो, न चुप बैठो प्रहार करो, जो औरत, बूड़े, बच्चे आये, टूकड़े तुम हज़ार करो । आतंकी रथ सवार करो, और मृत्यु का प्रचार करो, यमलोक भी थर-थर कांप उठे, ऐसा भीषण नरसंहार करो । असुरो को त्यार करो, और मानवता की हार करो, धरती का धड़ चीर-फाड़ के, नर्क का तुम आविष्कार करो । विवेक का भहिष्कार करो बर्बरता का विस्तार करो सत्ता पर हम जड़े जमा लें,…

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