सूरज ऊगा था, उस दिन कुछ ऐसा
नया जीवन मिला हो , लगा था कुछ वैसा
आज़ाद पंछी की तरह जब ली थी साँस सबने,
ना होगा स्वर्ग भी इस सुख के जैसा
पर फिर भी तो था कुछ अधूरा उस पल भी,
अम्बेडकर जैसे महान लोगो ने सोचा की
कुछ तो होगा इसका हल भी
तब रच डाला उन्होंने कुछ ऐसा इतिहास
कि देश में इससे ज्यादा ना है अब कुछ ख़ास
आजादी के उस दिन को हम गर्व से बुलाते है स्वतंत्रता दिवस
पर स्वतंत्रता का मतलब ही नही रह जाता
अगर ना मनाता हो कोई धूम धाम से अपना गणतंत्र दिवस ।
– अंकित सिंह डाँगी (अंकु)