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Jannat

जन्नत क्या है
तोज़क क्या है
क्या पता रब्बा
तेरे साथ ने दोनों से ही वाकिफ किया

किस्मत का क्या खेल है
मिलना था हमने कभी
देखो आज भी हम जुदा है
साथ होते हुए भी खफा है

हाथों की लकीरों मे क्या लिखा है कौन जाने
आप के हम बन जाने मे क्या खता है
प्यार चाहिए तेरी सहानुभूति नहीं
लौट आ फिर से दिल कहे
बात अधूरी है ज़िन्दगी भी
क्या लिखुँ आगे दोस्तों

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