Jannat
जन्नत क्या है
तोज़क क्या है
क्या पता रब्बा
तेरे साथ ने दोनों से ही वाकिफ किया
किस्मत का क्या खेल है
मिलना था हमने कभी
देखो आज भी हम जुदा है
साथ होते हुए भी खफा है
हाथों की लकीरों मे क्या लिखा है कौन जाने
आप के हम बन जाने मे क्या खता है
प्यार चाहिए तेरी सहानुभूति नहीं
लौट आ फिर से दिल कहे
बात अधूरी है ज़िन्दगी भी
क्या लिखुँ आगे दोस्तों
बहुत सुन्दर भावाभिव्यंजना है सर, श्रृंगार के वियोग पक्ष को आपकी लेखनी ने सहज रूप में प्रस्तुत किया है।
किस्मत का क्या खेल है
मिलना था हमने कभी
देखो आज भी हम जुदा है
साथ होते हुए भी खफा है
सुन्दर पंक्तियाँ हैं। अनुप्रासिक अलंकरण भी सहज ही आ गया है।
बहुत खूब
धन्यवाद
लाजवाब
धन्यवाद
लाजवाब
धन्यवाद
अतिसुंदर
धन्यवाद
Nice one
धन्यवाद