पिता

February 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

‍एक पिता आख़िर पिता होता है..
जीवन की छाया ख़ुशियों का साया
पिता जो हो तो जीने में अलग अंदाज़ होता है
पिता हर घर की चौखट से बँधा रिवाज़ होता है
हमारी सबसे आसान दहलीज़ है पिता
हमारा सबसे महफ़ूज मुहाफ़िज़ है पिता
पिता हर ज़िंदगी का ख़ुशनुमां आयाम होता है
पिता बच्चों की नीयत में बसा ईमान होता है
जहां के क़ायदे बच्चों की ख़ातिर सीखता है पिता
जहां के क़ायदे बच्चों की ख़ातिर तोङता भी है पिता
डगमगाते हुए क़दमों की आहट जान लेता है
पिता बच्चों की हर एक आरज़ू पहचान लेता है
हमारे इल्म का पहला सबक़-बरदार है पिता
हमारे अक़्स में आबाद वो किरदार है पिता
हमारे हाफ़िज़ा में सबसे जुदा तस्वीर है पिता
ख़ुदा की दी हुई एक अलहदा तजवीज़ है पिता
सलामत रहे ये दुनिया तो बच्चों को सलामत रखना
बच्चों की ख़ातिर ऐ ख़ुदा पिता को सलामत रखना