Kavita Malpani
धूप
September 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
धूप,आज
कुछ, सरक आयी,
मेरे आंगन में….
और, बिखेर गई,
मुठ्ठी भर अबीर……
…. कविता मालपानी
ए मन जरा थम
September 17, 2019 in मुक्तक
ए मन, ज़रा थम.
तू चला है… थाम के,
अपनी पतवार…
नदी तो, बहती रहती,
जो सतत् , चाहे
जैसे भी हों रास्ते…
कंकरीले.. पथरीले…
पतवार ना छूटे, हाथों से…
तू कौन??
तेरा वजूद क्या??
सिर्फ़ एक आत्मा!!
राह में, जो मुकाम आए…
वो पड़ाव भर ;
इस सफ़र के…
तू घिरा,है। जिस भीड़ से..
उनके , कुछ ॠण हैं बाकी,
भरदे, अपने प्रेम के प्यालों से..
पार करके, ये पड़ाव…
फिर थामले, अपनी पतवार…
कि,ये तेरी नियति नहीं..
अभी तो, सफ़र है बाकी.
कि,पहचान ख़ुद की,
अभी है बाकी…..
……..कविता मालपानी