Nitika Garg
मेरे हाथ
May 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे हाथ, मेरे दिल की तरह
कांपते हैं, जब मैं
उन सलवटों को अपने भीतर समेटती हूं
सलीब
May 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बहुत सी सलीबें लटका रखी हैं मैंने
इस दुनिया में जीना आसान नहीं है !