मेरे हाथ

May 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे हाथ, मेरे दिल की तरह
कांपते हैं, जब मैं
उन सलवटों को अपने भीतर समेटती हूं

सलीब

May 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत सी सलीबें लटका रखी हैं मैंने
इस दुनिया में जीना आसान नहीं है !

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