by Prakash

मजदूर की व्यथा

June 8, 2020 in Poetry on Picture Contest

कोरोना नामक महामारी हमारे देश में है आई
इस महामारी ने पूरे प्रशासन में हड़कंप है मचाई।

सरकारों ने महामारी से निपटने के लिये कई तरकीब है अपनाई
पर सबसे सख्त तरकीब तालाबंदी नजर आई।

मध्यम वर्गीय और रईसों ने इस फैसले की खूब की बढ़ाई
पर अंतत: सबसे ज्यादा पिसे हमारे गरीब मजदूर भाई।

मध्यम वर्गीय और रईसों ने, तालाबंदी में घर में खूब बनाये व्यंजन और मिठाई
लेकिन गरीब मजदूर ने भोजन कम, दर-दर की ठोकर ज्यादा खाई।

मजदूरों ने हमारे घरों और जीवन की अपने खून पसीने से कि सिंचाई
लेकिन बदले में हमने उन्हें दिया मिलों दूर कि पैदल चलाई।

जिन मजदूरों ने सड़क और पटरी बनाकर हमारे देश की रफ्तार थी बढ़ाई
आखिर में यही सड़क और पटरी उन्ही के काम आई।

सरकारों ने भी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी है छुपाई
क्या यही वह समाजवाद है जिसकी संविधान देता है दुहाई।

गलती स्थानीय प्रशासन की भी है, जिन्होंने कभी नही की इनकी भलाई
आखिरकार प्रवासी बनकर आ गये दूसरे प्रदेश में करने के लिए कमाई।

अंतत: यह भी सिद्ध हो गया जब भी कोई विपदा देश में है आई
सबसे मजबूर पाये गये हमारे गरीब मजदूर भाई।

by Prakash

अमन की आशा

May 20, 2020 in Other

क्यों राजनीति करते हो, हिन्दू मुसलमान की।
शायद भूल गए हो, दोस्ती रामप्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ुल्ला खान की।

दोनों समुदयों ने बना लिया है, एक दूसरे के प्रति पूर्वाग्रह।
ऐसा मत करो, ये देश कर रहा है आपसे आग्रह।

क्यों ना हम सब मिलकर बात करे, भाई चारा और विकास की।
और साकार करे सपना, भगत सिंह और नेताजी सुभाष की।

क्यों न हम सब मिलकर लड़े गरीबी, अशिक्षा और संप्रदियक्ता से।
और बना दे अपने भारत को सबसे अग्रसर वास्तविकता में।

आओ हम सब मिलकर लेते है प्रण ।
भारत को बनाए सबसे सवर्ण।

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