NAANKUN DERA BY VIRENDRA DEWANGAN
नानकुन डेरा
नानकुन डेरा , दू कोस के घेरा………. I
दिन गनवा जिनगी के , सपना लाख हजार
परगेस काबर फांदा म , जीयत तैं सरकार
मोर मोर गठियावय , असल परय बदरा
सुख्खा म बोहावय , बनके फोकट चतरा
कोठी डोली भर के कतको , मांगय रे छेरछेरा…….. I
नानकुन डेरा , दू कोस के घेरा………. I
धन तोरेच दौलत , तोरेच लागय सनसार
चुन चुन के केंवरी , जइसे राखय निमार
पुरगे ग जोरत पाई , पाई म दिन बछर
चुरगे जिवरा कमाई म , चलय न गतर
कब तक रहिबे हरियर , एकेच्च खाम के केरा…….. I
नानकुन डेरा , दू कोस के घेरा………. I
चिमटगे भगति अऊ , छछरगे रे मनौती
धरय काबर लइका कस , मुड़पेलवा रौती
बुचक जाही हाथ आये , सिरा जाही आस
धुनत तरवा रहि जाबे , अटकत रहि सांस
मौका रहत टेंड़ ले , राम के अमरित टेंड़ा……. I
नानकुन डेरा , दू कोस के घेरा………. I
BY VIRENDRA DEWANGAN , HATHOUD , DIST-BALOD , C.G.
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Nice poem
गांव की मिट्टी की महक से भरपूर है प्र्त्येक पंक्ति
THANKS ASHMITA JI
Waah
Good