बच्चे हम फूटपाथ के
बच्चे हम फूटपाथ के, दो रोटी के वास्ते, ईटे -पत्थर तलाशते, तन उघरा मन बिखरा है, बचपन अपना उजड़ा है, खेल-खिलौने हैं हमसे दूर,…
बच्चे हम फूटपाथ के, दो रोटी के वास्ते, ईटे -पत्थर तलाशते, तन उघरा मन बिखरा है, बचपन अपना उजड़ा है, खेल-खिलौने हैं हमसे दूर,…
हिन्द के निवासियों धरती माँ पुकारती है उठ खड़े हो जाओ तुम माँ भारती पुकारती है धर्म, जाती-पाती से तुम बाहर आकर भी देख लो…
सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो !! मे पृथ्वी…
मंदिर में पानी भरती वह बच्ची चूल्हे चौके में छुकती छुटकी भट्टी में रोटी सा तपता रामू ढावे पर चाय-चाय की आवाज लगाता गुमशुदा श्यामू…
गरीबी में पला बड़ा,धूप छाँव रहा खड़ा, मजबूरी में पनपा,किस्मत का मारा है । मेहनत पर जीता रहा,हर गम पीता रहा, देख कभी लेता नही,किसी…
~~”मजदुर”~~ ..वह ‘सृजनकर्ता’ है ‘दुख’ सहके भी ‘सुख’ बांटता है.. ..वो ‘मजे’ में ‘चूर’ हैं, बस इसलिए ‘मग़रूर’ हैं.. ..हम ‘मजे’ से ‘दूर’ हैं, बस…
मैं भी देश के सम्मान को सबसे ऊपर समझता हूँ तो क्या हुआ कि साहित्यकारों की निंदा पर जुदा राय रखता हूँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता…
चलो थोड़ा जादू करते हैं जनता के दिल को छूती हुई एक कविता लिखते हैं झोपड़ियों में पल रही भूख से टकराते हैं छोटे छोटे…
……कविता……. अपने काम, आप करो, मजदूरों को माफ़ करो। रहना है, अगर ठाठ से; तो साफ-सुथरा इंसाफ करो। हमको तुम, माफ़ करो, अपना, मन साफ़…
सिर पे जूता, पेट पे लात। दिल खट्टा और मीठी बात॥ नियम, कानून अमीरों का, अपने तो बस खाली हाथ॥ पूछ परख लो भूखों से…
लौट आओ अपने खेतों पर अब हरित क्रान्ति लिख देंगे। उजाड़ गौशाला को सजाकर अब श्वेत क्रान्ति लिख देंगे। फिर से नाम किसानों का लाल…
कभी दीवार गिरती है, कभी छप्पर टपकता है कि आंधी और तूफां को भी मेरा घर खटकता है। चमकते शहर ऐसे ही नहीं मन को…
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