Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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हार जाने की खुशी
उन्हें जिताना मुझे अच्छा लगता है प्रथम स्थान वही पाये इसलिए उनसे हार जाना मुझे अच्छा लगता है वे तो मेरे बड़े भय्या हैं उनका…
अगर आह्वान करूं चांद का…
देखती हूँ चांद को – लगता है बहुत भला , सोचती हूँ कईं बार – अगर आह्वान करूं चांद का क्या आएगा चांद धरती पर?…
ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता
ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता.. अपने आप चल पड़ते कदम य़ु तन्हा ना य़े सफर होता…. वक्त बिताने को आवाज देती दीवारे साथ छुटने का ना कोई…
कहानीयों में था हरा-भरा
“कहानीयों में था हरा-भरा” “अब कश्मीर का रंग लाल हो गया है” “शहीदों के लहू से रंग गयी है ज़मीन ” “जलीयांवाला बाग जैसा हाल…
#मां ” वो तपते तवे पे भूक जला रही थी” “मां को चार रोटी की भूक थी, पर वो एक ही खा रही थी” ~शाबीर
Sahi kaha aapne
??
बहुत ही दुखद है