अब डर सा लगता है

“अब डर सा लगता है सुबह-सुबह अखबार पकड़ने से”

“न जाने कौन देश की बेटी, देश का जवान या देश का स्वाभीमान , लूट लिया हो ” !

~शाबीर

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उन्हें जिताना मुझे अच्छा लगता है प्रथम स्थान वही पाये इसलिए उनसे हार जाना मुझे अच्छा लगता है वे तो मेरे बड़े भय्या हैं उनका…

ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता

  ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता.. अपने आप चल पड़ते कदम य़ु तन्हा ना य़े सफर होता…. वक्त बिताने को आवाज देती दीवारे साथ छुटने का ना कोई…

#मां ” वो तपते तवे पे भूक जला रही थी” “मां को चार रोटी की भूक थी, पर वो एक ही खा रही थी” ~शाबीर

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