Categories: हिन्दी-उर्दू कविता

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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अहिंसक हो मेरे चित् , अहिंसक हो शस्त्र उपयोग क्भी नहीं छल कपट क्भी नहीं …
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अहिंसक हो मेरे चित् , अहिंसक हो जीव हत्या , क्भी नहीं वनस्पति अपमान , क्भी नहीं
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अहिंसक हो मेरे चित् , अहिंसक हो अनैतिक भाव , क्भी नहीं निर्जीव पे वार , क्भी नहीं
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वैराग-चित् संपदा
वैराग-चित् संपदा कर पाए जब तूं दिल से प्रति सुख और दुख के, एक समान उपेक्षा कर पाए जब अंतर मन से विभिन भ्रांतियों…
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