आँखों को इंतज़ार की आदत नहीं रही
आँखों को इंतज़ार की आदत नहीं रही
अच्छा हुआ के प्यार की आदत नहीं रही
मिलती नहीं किसी से तबियत हमारी अब
हमको किसी भी यार की आदत नहीं रही
बुज़दिल नहीं रहा मैं कभी आप जान लो
दुश्मन के पीछे वार की आदत नहीं रही
हाँ बेशुमार ज़ख्म ज़माने से खाये हैं
लेकिन कभी शुमार की आदत नहीं रही
मैं जानता हूँ मेरे लिए गैर तू नहीं
तुझे पर भी इख्तियार की आदत नहीं रही
पहले की बात और थी अब बात और है
दिल को भी ऐतबार की आदत नहीं रही
राह-ए-वफा के फूल सभी ख़ार बन गये
मुझे भी गम गुसार की आदत नहीं रही
अरशद साद रूदौलवी
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