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आजाद तेरी आजादी

भारत मां के अमर पुत्र “चन्द्रशेखर आजाद” की पुण्य तिथि पर मेरी एक तुच्छ सी रचना l

रचना का भाव समझने के लिये पूरी रचना पढेl”

**आजाद तेरी आज़ादी की अस्मत चौराहों पर लूटी जाती है**

शत बार नमन ऐ हिंद पुत्र!

शत बार तुम्हें अभिराम रहे,

आज़ाद रहे ये हिंद तुम्हारा,

आज़ाद तुम्हारा नाम रहे l

याद बखूबी है मुझको कि तुमने क्या कुर्बान किया,

आजाद थे तुम और अन्तिम क्षण तक आज़ादी का गान किया,

बचपन, यौवन, संगी-साथी, सब तुमने वतन को दे डाला,

अपनी हर इक सांस को तुमने हिंद पे ही बलिदान किया,

मगर सुनो ऐ हिंद पुत्र-

                             अब तो उस आजादी की बस गरिमा टूटी जाती है,

और भरे चौराहों पर उसकी इज्जत लूटी जाती है l

जिसकी खातिर लाखों वीरों ने अपना सर्वस्व मिटा डाला,

निष्प्राण किया खुद को फ़िर उसके अभिनन्दन को बिछा डाला,

आजाद हिंद का आसमान अब उसपर  कौंधा जाता है,

और उसी आजादी को अब पैरों से रौंदा जाता है,

उस आजादी को लिखने पर आंख से नदियां फूटी जाती हैं,

आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है ll

तुमने शीश चढाया था कि हिंद ये जिन्दाबाद रहे,

तुम ना भी रहो फ़िर भी ये रहे, आजाद रहे आबाद रहे,

तुम्हारा इंकलाब अब देशद्रोह के पलडो में तोला जाता है,

और हिंद की मुर्दाबादी का नारा खुलकर बोला जाता है,

अब हिंद के जिन्दाबाद पे तेरी जनता रूठी जाती है,

आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है l

जिस आजादी के सपनों में तुमने सुबह-ओ-शाम किया,

राजदुलारों ने उसको चौराहों पर नीलाम किया,

संसद के दुस्साशन उसका चीरहरण कर लेते है,

और हवस की ज्वाला अपनी आंखों में भर लेते हैं ,

सर्वेश्वर श्री कृष्ण की गाथा अब बस झूठी जाती है,

आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है ll

आज तुम्हारी पुण्य तिथि पर ये सब सोच के आंखें रोयी थीं,

इसी हिंद की मिट्टी में तुमने अपनी शहादत बोयी थी,

आज तुम्हारी कुर्बानी पर ये लोग तो ताने कसते हैं,

ये आस्तीन के सांप हैं अपने रखवालों को डंसते हैं,

और भला क्या लिखूं?

                            कलम हाथ से छूटी जाती है,

आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है ll

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                     -Er Anand Sagar Pandey

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