आतंकबादी

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मैं क्यों सोचु वो मेरे बारे में क्या सोचेगी,
मुझे अच्छा लगता हैं उसे रोज सुबह सुबह गुड मोर्निंग विश करना,,
जानता हूँ कोई रिप्लाई नहीं आएगा फिर भी उसके मैसेज का इन्तजार करना ,,,
अरे अच्छा लगने से याद आया कि वो जब अपने दांतों के बीच में पेंसिल को दबा कर कुछ सोचती हैं,,
हाए
क़त्ल-ए-आम हो जाता हैं,
कई बार तो मुझको लगता हैं की सरकार को उस बैन लगा देना चाहिए,,
यार इतना बड़ा कातिल आजाद कैसे घूम सकता हैं,,
यानी कातिल तो AK- 47 ले कर घूमते हैं सडको पर,,
बड़े बड़े हथियार ले कर लोगो को कैद में रख कर परेशान करते हैं
और वो ना ही किसी की ओर देखता हैं,,
और ना ही किसी को भाव देता हैं,,
मगर लोग बाग़ हैं कि पागल हुए पड़े हैं उसकी कैद में जाने खातिर,,
पहली बार देखा हैं ऐसा आतंकबादी

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Responses

  1. रिमझिम रिमझिम बारिश हुई आज
    जोर की तूफ़ा आंधी बहुत तेज चले
    रिवोल्वर तो रोज चलती है दोस्त
    कभी हमारे यहां AK 47 भी चले…
    kaisi lines he bhai ankit..kuch inke aage likho yaar http://saavan.in/mushaira/#comment-874

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