उस अफ़साने की बात करते हो

सिमट गया जो चंद अल्फ़ाजों में, उस अफ़साने की बात करते हो
खुद को हमारी जिंदगी बनाकर, छोड जाने की बात करते हो |
नहीं है कोई अंजाम इस अफ़साने का, मालूम था हमें
जला रखा था इक उम्मीद का चिराग़, उसे बुझाने की बात करते हो |
पहले से दफ़न है कई अहसास मेरे दिल की दरख्तों में
कत्ल करके इक और अहसास का, दफ़नाने की बात करते हो |
आ गये है तेरे दर पर हम, अपना सबकुछ छोडकर
nice one!
thanks mohit
Katal-e-aam macha diya aapne…. Bhut hi sunder
thanks ankit
wow!…nice bro!
Good
वाह बहुत सुंदर रचना ढेरों बधाइयां
वाह वाह
बहुत ख़ूब