कलम
आज दिल में छुपे हर राज़ लिखने बैठा हूँ,
तुझको अपने ख़्वाबों किस्सों का सरताज लिखने बैठा हूँ,
एतराज़ हो कोई तो मुझसे खुल कर कह देना,
आज खामोशी को भी तेरी आवाज लिखने बैठा हूँ,
उतर रही थी तू हफ़्तों से मेरे दिल के कोरे पन्नों में,
आज तुझ पर ही मैं अपनी कलम से किताब लिखने बैठा हूँ॥
राही (अंजाना)
Waah dil Jo de baitha hoon
Thank you
Osm
Thank you