Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
तेरा सोया भाग बदल जायेगा
राम नाम के जाप से होत क्लेश दूर । सीतानाथ के कृपा से भाग बदलता जरूर ।। — तेरा सोया भाग बदल जायेगा, तु भज…
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया है
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया ग्रह के गर्भ में लिपटा हैं बादलों में छुप छुप कर बैठा हैं डरा सहमा सा यह दिखता…
गर निकल पड़े जो सफर को
गर निकल पड़े जो सफर को देख मुड़ के न फिर डगर को आएँगे यूँ तो कई विघ्न पड़ेंगे देखने कई दुर्दिन हौसला हो साथ…
ना समझ संतान
कहानी-ना समझ संतान पैतृक संपत्ति से कुशल किसान रहता था, अनेक पशुओं तथा कृषि यंत्रों के साथ एक सुनहरे भवन का मालिक था, किसान के…
बदनाम हो गये
बदनाम हो गये ———————— बदनाम हो गये जमाने के नजरों में, वजूद खो दिया खुद का उसे मनाने में, इल्जाम लगता है इसे कोई और…
वाह