कविता – इलाहाबाद की बात निराली
इलाहाबाद की बात निराली
नगरी वही निराला वाली |
एक तरफ प्रयाग राज है
दूजी तरफ गंगा मतवाली ||
इलाहाबाद की बात…
गूढ भेद सारगर्भित बातें
बडी निराली इसकी रातें |
देख उजाला ऐसा लगता
जैसे हर एक रात दिवाली ||
इलाहाबाद की बात…
पावन करने कर्म नहाने
महाकुंभ में दुनियां आती |
धन्य धरा इलाहाबाद की
सबके पाप छुडाने वाली ||
इलाहाबाद की बात निराली…
उपाध्याय…
are waah bahut khoob