कितना चले! कितना रुके!
कितना चले !कितना रुके! ,
हम जिंदगी के सफर में ,
ये कोई नहीं पूछता ,
मगर लोग अक्सर पूछते हैं,
मंजिल के कितने करीब हो!
कितना चले !कितना रुके! ,
हम जिंदगी के सफर में ,
ये कोई नहीं पूछता ,
मगर लोग अक्सर पूछते हैं,
मंजिल के कितने करीब हो!
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बढ़िया
धन्यवाद जी
सुंदर प्रस्तुति
धन्यवाद
सच कहती हो। सुन्दर अभिव्यक्ति
Thank you
यही तो दुनिया की दस्तूर है।
जी धन्यवाद
बेहतरीन
Thank you
Very nice
Thank you
bahut achha vichar h aapka..
chalne ka nam hi he zindgi
विचारों के समर्थन के लिए हार्दिक धन्यवाद