Praduman Amit
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Praduman Amit wrote a new post, दो गज़ ज़मीन 3 months, 3 weeks ago
मै उनके गली में दो गज़ ज़मीन मांगी
एक आशियाना बनाने को
उसने इतनी बड़ी शर्त रखी कि ,
मैं दंग रह गया
सोचने लगा मेरी इतनी औकात कहाँ
जो उनकी ख्वाईश को हम पुरा कर सके
मै वापस वहीं चला गया जहाँ
आशिक़ गम की […] -
Praduman Amit commented on the post, "माँ का दिल" 3 months, 3 weeks ago
माँ ममता की सागर है यदि संतान लाखो दु:ख दे दे माँ को फिर भी माँ अपने संतान की गलती को कभी भी अपने औलाद के सामने दु:ख व्यक्त नहीं करती। यही आज के संतान क्यों नहीं समझ रहा है। यही अफसोस आज भी उन बेटों का है जो बेटा अपनी माँ के प्रति आज भी सजग है।
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Praduman Amit wrote a new post, (हास्य कथा ) भागमभाग 3 months, 3 weeks ago
बनवारी नया नया थानेदार बना था। गाँव में हमेशा छाती तान कर चला करता था। गाँव के लोग उन्हें काफी मान सम्मान दिया करते थे। बनवारी के चौबीस की छाती छत्तीस की तब होती थी जब कोई रास्ते में उसे टकरा जाता था। बेचारा वह र […]
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Praduman Amit commented on the post, मकसद पूरा हो गया 3 months, 3 weeks ago
,स्वस्थ खुशहाल तो मन खुशहाल।
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Praduman Amit commented on the post, "एक ख्वाब जिया है मैंने" 3 months, 3 weeks ago
तकदीर से बच जाए ज़माने में किसका मजाल है।
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Praduman Amit commented on the post, अपने ही साथ छोंड़ देते हैं 3 months, 3 weeks ago
शिकायत करना हो तो खुद से कीजिये। यहाँ न कोई है।
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Praduman Amit commented on the post, लहरों ने किनारा पा ही लिया… 3 months, 3 weeks ago
मेंहदी को एक दिन रंग तो लाना ही था।
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Praduman Amit commented on the post, ठिठुरता जीवन… 3 months, 3 weeks ago
आपने आखिर वास्तविक जीवन से परिचय करवा ही दिया। बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत किया है प्रज्ञा जी।
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Praduman Amit commented on the post, रजाई की महिमा 3 months, 3 weeks ago
वाह ।आखिर आपने मुझे मुस्कराने पे विवश कर ही दिया।
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Praduman Amit wrote a new post, यादों की बारात 3 months, 3 weeks ago
मुझे ठुकरा कर काश तुम अपना जीवन संवार लेते।
तेरी बेवफ़ाई को ही हम अनमोल तोहफ़ा समझ लेते।।
मुझे यह दु:ख नहीं कि तुम मेरे हमसफ़र नहीं बन पाए।
दु:ख तो इस बात की है हम एक हो के भी एक हो न पाए।।
जीवन में […] -
Praduman Amit commented on the post, बस यादों में रह जाते हैं 3 months, 4 weeks ago
बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत किया है आपने। आपको मेरी ओर से बहुत धन्यवाद।
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Praduman Amit commented on the post, "राजा दशरथ और श्रवण कुमार" 3 months, 4 weeks ago
वाह प्रज्ञा जी काश!! ऐसा बेटा हर माँ बाप को मिलता। तो आज हमें माँ बाप के प्रति दु:ख भरी कहानी व कविता लिखना नहीं पड़ता। आपकी कविता उन अभागे बेटों के लिए है जो घर में गंगा रहते हुए भी काशी मथुरा तीर्थ करने को जाते है। माँ बाप के लिए बीवी बच्चों को छोड़ दे ज़माने में किसका मजाल है। अति उत्तम चित्रण किया है आपने। यदि सूत की जगह पूत होता…[Read more]
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Praduman Amit wrote a new post, पहली प्यार की पहली निशानी 3 months, 4 weeks ago
पहली प्यार की पहली निशानी ।
संभाल कर रखना ऐ मेरी रानी।।
यदि कल हम मिले या न मिले।
फिर भी गुलशन में गुल खिले।।
मिलन पे मौसम भी बेमिसाल है।
क्योंकि मुझे तुम से ही प्यार है।।
जुदा कर दे खुदा में दम नहीं […] -
Pt, vinay shastri 'vinaychand' and
Praduman Amit are now friends 3 months, 4 weeks ago
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Praduman Amit commented on the post, बीस हज़ार का बेटा 3 months, 4 weeks ago
आपकी समीक्षा का ही मुझे इन्तजार रहता है। आपकी समीक्षा ही मेरे लिए अनमोल तोहफ़ा है।
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Praduman Amit commented on the post, बीस हज़ार का बेटा 3 months, 4 weeks ago
मेरी कहानी को आपने अवलोकन किया।मैं आपको दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
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Praduman Amit commented on the post, बीस हज़ार का बेटा 3 months, 4 weeks ago
मेरी रचना को आपने हमेशा सराहा है।आपकी सराहना ही मेरी हौसला को बुलंद करती है।
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Praduman Amit commented on the post, सपनें तो वो होते हैं…!! 3 months, 4 weeks ago
जुनून इनसान को क्या नहीं करवाती है।
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Praduman Amit commented on the post, बेटी प्रज्ञा 3 months, 4 weeks ago
मैने अपनी कहानी के शीर्षक प्रज्ञा बहुत ही सोच समझ कर रखा है क्योंकि यह कहानी नारी प्रधान है पहले यह ख्याल आया कि ममता रखें। फिर ऐसा लगा कि यह शीर्षक पुरानी हो गयी है। इस शीर्षक पर कई कहानीकार अपनी रचनाएं लिख चूके है। इसलिए मैने प अक्षर से शीर्षक खोज रहा था। अचानक ज़ुबान पर “प्रज्ञा”शब्द आ गया।
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Praduman Amit wrote a new post, बीस हज़ार का बेटा 3 months, 4 weeks ago
अचानक दस साल के एक फुटपाथी बच्चे के कानों में किसी औरत की चीख सुनाई पड़ी। वह अपनी झोंपड़ी के बाहर आया तो देखा एक औरत खून से लथपथ बीच सड़क पर तड़प रही थी। वह झट से थाने के तरफ दौड़ पड़ा। वह दारोग़ा के सामने जा […]
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अतिसुंदर भाव
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मेरी रचना को आपने हमेशा सराहा है।आपकी सराहना ही मेरी हौसला को बुलंद करती है।
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बहुत ही भावुक कहानी
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मेरी कहानी को आपने अवलोकन किया।मैं आपको दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
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मार्मिक कथानक एवं अभिव्यक्ति से सजी सुंदर कहानी है…👏👏👏👏👌👌👌👌
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आपकी समीक्षा का ही मुझे इन्तजार रहता है। आपकी समीक्षा ही मेरे लिए अनमोल तोहफ़ा है।
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वाह अति सुंदर
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शानदार लिखा है आपने
हृदयविदारक तथा दिल को कुरेदती हुई रचना
अतिसुंदर भाव