” कुछ ऐसा लिखूँ “
कुछ ऐसा लिखूँ , की पढ़ने वाले को लगे …
मेरा एक – एक अल्फ़ाज , गहरा हैँ …
खों जाये वो मेरे अल्फाज़ो की महफ़िल में ..
लगे उसे , मानो आज वक़्त , ठहरा हैं..
यादगार हों जाये उसके लिए , मेरी हर इक सुखनवरी ….
एहसास हो , जैसे…..
रौनक के पहरे से रोशन उसका , चेहरा हैं ..
पंकजोम ” प्रेम “
Aap to hamesha hi ESA likhte he…
वाह क्या कहने